अन्नकूट ( टैग्स ) : रचना सूची
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देखो री हरी भोजन खात।
सस्त्र भुजा धर उर जेमत इत गोपिन सो करे हे बात।।
हस हस परसत मात जसोदा नन्द बाबा मन ही हर्षात।
धन्य धन्य ब्रज के नर नार सदा रहत गोकुल के नाथ।।

आज श्री नाथद्वारा में अन्नकूट उत्सव है। है वर्ष से अलग, इस वर्ष, कार्तिक वादि अमावस को चंद्र ग्रहण होने की वजह से नाथद्वारा में अति प्रसिद्ध खेंकरा एवं अन्नकूट उत्सव आज, अक्षय नवमी को मनाया जा रहा है। इस उत्सव के एक दिन पहले, लक्ष–लक्ष गैय्या गोशाला से आदरपूर्ण रूप से श्रीनाथजी के मंदिर बुलाई जाती है। सोने के सींग और तांबे की पीठ से सुसज्जित गैय्या मंदिर आती हैं, जिनका स्वागत श्री नवनीतप्रियजी स्वयं करते हैं, गोवर्धन पूजा चौक में विराज के। वो स्वयं गैय्याओं को आगामी कल की गोवर्धन पूजा में पधारने का निमंत्रण देते हैं। अगले दिन भी ठाकुर जी स्वयं चौक में विराज के श्री गिरिराज महाराज का पूजन करते हैं, जिसके पश्चात नन्हे से ठाकुर जी निज मंदिर में श्रीनाथजी की गोद में विराज के अन्नकूट के आनंद लेते हैं। रात को भील अन्नकूट की प्रसादी लूटने आते हैं, और इस समय नाथद्वारा नगर के लोगों का उत्सव देखते बनता है। ग्वालों का टेर कर अपनी गैय्य को बुलाना, गायों की गले में बंधी भई घंटियों की आवाज़ और भक्तों का जय घोष! विलक्षण है व्रज की भक्ति और राजस्थान की संस्कृति

पद अज्ञात 16/03/2023

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