खिचरी जेंवत जुगल किशोर ।
निशि जागे अनुरागे दम्पति, उठे उनींदे भोर।।
अंग अंग की छवि अवलोकत, ग्रास लेत मुख सुखहि निहोर।
जय श्री रूपलाल हित ललित, त्रिभंगी विवि मुखचन्द्र चकोर।।
अष्टयाम सेवा ( प्रसंग प्रकार ) : रचना सूची
पद
बृजलाल
07/11/2023
पद
परमानन्ददास
07/11/2023
पद
पुरषोत्तम
07/11/2023
लेखक/रचनाकार
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