सेवाकुंज जु प्यारी ठौर | जहाँ नित बिहरैं साँवल गौर ||
आज्ञा दै मंदिर बनबायौ | तहँ हित हाथ सौं भोजन पायौ ||
मंदिर भोग धरत हौ जैसें | सेवाकुंज धरौ नित ऐसें ||
रजनी वहाँ आवै नहिं कोऊ | यामें नित संतत हम दोऊ ||
चौपाई ( रचना प्रकार ) : रचना सूची
चौपाई
अज्ञात
17/12/2023
चौपाई
अज्ञात
04/11/2023
चौपाई
अज्ञात
17/03/2023
चौपाई
अज्ञात
04/11/2023
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