श्री हरिवंश नाम सब सिद्धि, सबै रसिक बिलसे नव निद्धि।
भुगते दैहिं न जाँचहीं॥
पोषन भरन न चिंत कराहिं, श्री हरिवंश विभव विलसाहिं।
श्री बृंदावन की माधुरी॥
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