आवति नेह की निधि प्यारी ।
रोम-रोम सुखदैंन स्याम कौं, श्रीवृषभानुदुलारी ॥
प्रथम समाज साज सचि संपति, अंग-अंग सुकुमारी ।
नव निकुंज नागरी-रवन मिलि, सुरस-सार वरषा री ॥
देत असीसनि निरखि जुवति, चिरु जोरी सदा-सदा री ।
श्रीगुरुराज-कृपा तें या छबि पर 'कल्यान' बलिहारी ॥
रचनाकार/कवि/भक्त: कल्याण पुजारी ( सम्प्रदाय - NA )
पद
कल्याण पुजारी
14/04/2023
पद
कल्याण पुजारी
19/09/2023