फाग की भीर अवीरनि में गोविंद कौ लै गई भीतर गोरी,
भाय करी मन की पद्माकर, ऊपर नाय अबीर की झोरी।
छीन पितंबर कम्मर ते, सुबिदा दई मीड कपोलन रोरी,
नैन नचाय कही मुस्काय, लला फिर अइयो खेलन होरी ।
कवित्त ( रचना प्रकार ) : रचना सूची
लेखक/रचनाकार
प्रसंग
रचना प्रकार
टैग्स