भोर निकुंजनि-आँगन-बीच लसैं बिलसैं हुलसैं पिय-गोरी |
आनन राजत पाननि-रंजित पाननि-कुञ्ज-छुबैं कुच-कोरी ||
बंक निहोरत भौंह मरोरत नैननि-बैंननि माँझ ठगोरी |
श्री मुख श्री हरिवंश भनी नित सो हित रूप सनी यह जोरी ||
खिचड़ी उत्सव ( प्रसंग प्रकार ) : रचना सूची
पद
चन्द्रसखी
06/11/2023
लेखक/रचनाकार
प्रसंग
रचना प्रकार
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