सुधंग नाचत नवल किसोरी।
थेई थेई कहति चहति प्रीतम दिसि, वदन चंद मनौं त्रिषित चकोरी।।
तान बंधान मान में नागरि देखत स्याम कहत हो हो होरी।
(जै श्री) हित हरिवंश माधुरी अँग अँग, बरवस लियौ मोहन चित चोरी।।78।।