नागरता की राशि किसोरी।
नव नागर कुल मौलि साँवरी, वर बस कियो चितै मुख मोरी।।
रूप रुचिर अंग अंग माधुरी, विनु भूषन भूषित ब्रज गोरी।
छिन छिन कुसल सुधंग अंग में, कोक रमस रस सिंधु झकोरी।
चंचल रसिक मधुप मौंहन मन. राखे कनक कमल कुच कोरी।
प्रीतम नैंन जुगल खंजन खग, बाँधे विविध निबंध डोरी।
अवनी उदर नाभि सरसी में, मनौं कछुक मदिक मधु घोरी।
(जै श्री) हित हरिवंश पिवत सुंदर वर, सींव सुदृढ़ निगमनि की तोरी।।82।।