आजुब देखियत है हो प्यारी रंग भरी।
मोपै न दुरति चोरी वृषभानु की किशोरी;
सिथिल कटि की डोरी,नंद के लालन सौं सुरत लरी।।
मोतियन लर टूटी चिकुर चंद्रिका छूटी
रहसि रसिक लूटी गंडनि पीक परी।
नैननि आलस बस अधर बिंब निरस;
पुलक प्रेम परस हित हरिवंश री राजत खरी।।84||